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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा, कोर्ट ने याचिका मंजूर कर सभी पक्षकारों को भेजा नोटिस

हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी. याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए.

राजस्थान के अजमेर में स्थित प्रसिद्ध दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए 5 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. दरअसल, हिंदू सेना के विष्णु गुप्ता ने अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू पूजा स्थल होने की याचिका कोर्ट में दायर की थी.

याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन मनमोहन चंदेल की कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान वादी विष्णु गुप्ता के वाद पर न्यायाधीश मनमोहन चंदेल ने संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी ,अल्पसंख्यक मामलात व एएसआई को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए और अगली तारीख पर पेश रहने को बुलाया.

दरगाह को हिंदू मंदिर बता रहे हिंदू संगठन

हिंदू संगठन लंबे समय से अजमेर दरगाह को मंदिर बता रहे हैं. साल 2022 में हिंदू संगठन महाराणा प्रताप सेना ने इसके मंदिर होने का दावा करते हुए तत्कालीन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने के लिए कहा था. महराणा प्रताप सेना के पदाधिकारियों ने एक तस्वीर भेजी थी, जिसमें अजमेर दरगाह की खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान होने का दावा किया गया था. संगठन के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार ने दावा किया था कि अजमेर दरगाह एक शिव मंदिर था जिसे दरगाह बना दिया गया.

यूपी के संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा 

संभल जिले की शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था. पहले 19 नवंबर को रात में सर्वे हुआ और 24 नवंबर (रविवार) को दूसरी बार सर्वे टीम मस्जिद पहुंची. मस्जिद कमेटी की सहमति से दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे होना था, लेकिन मस्जिद के सर्वे के खिलाफ बड़ी संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. कोर्ट के आदेश पर जब सर्वे शुरू हुआ तो भीड़ ने भड़ककर पुलिस पर हमला कर दिया, पथराव किया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया.

स्थिति नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा और कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया. इसके बावजूद, सर्वे टीम ने अपना काम पूरा कर लिया है और रिपोर्ट 29 नवंबर को अदालत में पेश की जाएगी, जिस पर सभी पक्षों को अपनी राय देने का मौका मिलेगा.

संभल की जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर? 

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह मस्जिद वास्तव में एक प्राचीन हिंदू मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई थी. ‘आजतक’ ने इस दावे की ऐतिहासिक और पुरातात्विक पड़ताल की, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1879 की रिपोर्ट ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. यह रिपोर्ट एसीएल कार्लाइल द्वारा तैयार की गई थी और “Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875 and 1875–1876” शीर्षक के तहत प्रकाशित हुई.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन अधिकारी ए.सी.एल. कार्लाइल (A. C. L. Carlleyle) द्वारा तैयार रिपोर्ट, “Tours in the Central Doab and Gorakhpur 1874–1875 and 1875–1876”, में संभल की जामा मस्जिद का विस्तृत सर्वेक्षण दर्ज है. रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभों को पुराने हिंदू मंदिरों का बताया गया है, जिन्हें प्लास्टर लगाकर छिपाने का प्रयास किया गया. मस्जिद के एक खंभे से प्लास्टर हटने पर लाल रंग के प्राचीन खंभे दिखाई दिए, जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल होने वाले डिज़ाइन और संरचना के थे.

ASI के सर्वेक्षण में दावा किया गया कि मस्जिद में ऐसे कई संकेत और अवशेष मौजूद हैं जो इसकी प्राचीनता और हिंदू मंदिर से जुड़े होने की ओर इशारा करते हैं. हालांकि, यह मामला अदालत में विचाराधीन है और सर्वेक्षण के हालिया निष्कर्ष 29 नवंबर को अदालत में पेश किए जाएंगे. इस रिपोर्ट से आगे की सच्चाई स्पष्ट हो सकेगी.

VS NEWS DESK
Author: VS NEWS DESK

pradeep blr

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