महाराष्ट्र में एक दिन पहले तक चर्चा का विषय यह था कि सीएम किस दल का बनेगा और अब बात इसे लेकर हो रही है कि बीजेपी फडणवीस को ही सीएम बनाएगी या नया चेहरा लाएगी? सीएम शिंदे क्यों बैकफुट पर आए और क्यों फडणवीस को सीएम पद की रेस में आगे माना जा रहा है?
महाराष्ट्र में एक दिन पहले कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खामोशी की चादर ओढ़े हुए थे. सीएम शिंदे की खामोशी से सियासी पारा हाई था. मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का होगा या शिवसेना (शिंदे) का, बहस का विषय यह बिंदु बना हुआ था. अब आज तस्वीर दूसरी है. सीएम शिंदे यह स्पष्ट कह चुके हैं कि सरकार गठन में हमारी ओर से कोई पेच नहीं है. बीजेपी सीएम पद के लिए जिसका चुनाव करेगी, शिवसेना उसका समर्थन करेगी.
शिंदे के बयान के बाद बदली परिस्थितियों में अब देवेंद्र फडणवीस सीएम रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं. दिल्ली में एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक होनी है जिसमें सीएम के नाम पर मुहर लग सकती है. सवाल उठ रहे हैं कि सीएम पद पर लगातार दावेदारी करती आई शिवसेना के प्रमुख एकनाथ शिंदे क्यों बैकफुट पर आ गए और सीएम रेस में फडणवीस क्यों आगे हैं?
सीएम रेस में फडणवीस क्यों आगे
मुख्यमंत्री पद की रेस में देवेंद्र फडणवीस आगे माने जा रहे हैं तो उसके पीछे भी अपनी वजहें हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी का सबसे बड़ा चेहरा देवेंद्र फ़णवीस के पक्ष में जो बातें जाती दिख रही हैं, उनमें सरकार चलाने के अनुभव से लेकर संगठन पर पकड़ तक, तमाम बाते हैं. देवेंद्र फडणवीस की ताकत क्या है?
– गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव
– प्रशासन पर मजबूत पकड़
– स्वच्छ छवि और डायनेमिक नेतृत्व
– बीजेपी के अलावा दूसरे दलों में भी स्वीकार्यता
– संगठन पर भी अच्छी पकड़
शिंदे क्यों बैकफुट पर आए?
सीएम एकनाथ शिंदे बैकफुट पर आ गए हैं तो उसकी भी अपनी वजहें हैं. चुनाव नतीजों में बीजेपी का आंकड़ा 110 के पार पहुंचते ही एकनाथ शिंदे और अजित पवार को यह बात समझ आ गई थी कि सीएम की कुर्सी पर उनका दावा अब कमजोर पड़ गया है. शिंदे के बैकफुट पर आने के पीछे एक वजह संख्याबल तो है ही, और भी कई वजहें हैं.
– बीजेपी का संख्याबल
– शिंदे-अजित की पार्टी से भी बीजेपी नौ विधायक
– अजित पवार का बीजेपी को बिना शर्त समर्थन
– बीजेपी नेतृत्व की ओर से बढ़ता दबाव
– सेना बनाम सेना की लड़ाई में अस्तित्व का सवाल
अजित पवार के लिए सत्ता क्यों जरूरी?
– लोकसभा चुनाव के बाद कठिन परिस्थितियों में मिली जीत
– पावर में बने रहने की चाहत
– आगामी निकाय चुनाव में अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने की कोशिश
Author: VS NEWS DESK
pradeep blr