JNU Fines: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और विश्वविद्यालय मानदंडों का उल्लंघन करने वाले छात्रों से पिछले छह वर्षों में 18 लाख रुपये से अधिक जुर्माना वसूला है। एक आरटीआई से इस बात का खुलासा हुआ है। विरोध प्रदर्शन में छात्रों के शामिल होने पर वसूली जाने वाली ये राशि JNU के स्नातक पाठ्यक्रमों में एंरोल्ड छात्रों से ली जाने वाली वार्षिक फीस के लगभग चार गुना है।
क्या है यूजी कोर्सेज का फीस (JNU UG Courses Fees)
जेएनयू देश के प्रसिद्ध केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यह एक सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय है, जहां अधिकांश कार्यक्रमों के लिए स्नातक शुल्क 410 रुपये प्रति वर्ष है। NIRF के एक आंकड़ें के अनुसार, 2024 तक 10 यूजी कार्यक्रमों में 1,209 छात्रों ने दाखिला लिया था। मौजूदा छात्रों की संख्या और उपलब्ध कोर्सेज के आधार पर ली जाने वाली फीस की कुल राशि 4,95,690 रुपये है।
आरटीआई की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
2019 में जेएनयू ने 3.5 लाख रुपये का जुर्माना वसूला, 2020 में 40,000 रुपये, 2021 में 2.4 लाख रुपये से अधिक और 2022 में 3.8 लाख रुपये। यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्ष 2023 में सीपीओ मैनुअल अधिसूचित किया गया था। इसके अनुसार, जुर्माना 5.5 लाख रुपये था। पिछले साल यूनिवर्सिटी ने 2.5 लाख रुपये जुटाए थे। बता दें, TOI को आरटीआई द्वारा प्राप्त जवाब में जानकारी मिली है। 2019 से 2024 तक जेएनयू ने करीब 18 लाख रुपए छात्रों से बतौर जुर्माना लिया है।
कैंपस के 100 मीटर के दायरे में धरना पर लगाया बैन
वर्ष 2023 में JNU ने आये दिन होने वाले प्रोटेस्ट और कैंपस छात्रों के इन विरोध प्रदर्शन में शामिल होने को लेकर एक बड़ा फैसला लेते हुए फाइन को लागू किया था। तब यूनिवर्सिटी की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि यदि छात्र कैंपस के 100 मीटर के दायरे में धरना देता है या पोस्टर लगाता हुआ पाया गया तो 20 हजार रुपये तक का जुर्माना और मामला गंभीर होने पर यूनिवर्सिटी से निष्कासन तक की सजा सुना सकता है। साथ ही किसी भी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के लिए छात्रों को 10 हजार रुपये का जुर्माना भरने का फैसला लिया गया।